Envision 2030• Sustainable development goal 16 & Legal Inclusion by Rishabh Shukla| D for Dignity by Swapnil Saundarya

  


| सतत् विकास लक्ष्य-16 व कानूनी समावेश|

सतत् विकास लक्ष्य-16 अर्थात सतत् विकास के लिए शांतिपूर्ण एवं समावेशी समाजों को प्रोत्साहन, सब के लिए न्याय सुलभ कराना और सभी स्तरों पर असरदार, जवाबदेह और समावेशी संस्थाओं की रचना करना| इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि 2030 के लिए वैश्विक सतत् विकास एजेंडा के किसी भी पहलू को साकार करने की दिशा में पहले कदम की शुरुआत व्यक्तियों को सुरक्षा और मानव अधिकार लौटाने से होगी जिनके जीवन और बुनियादी स्वतंत्रताएं या तो सीधे हिंसा या न्याय पर संस्थागत प्रतिबंधों के कारण खतरे में हैं। 

हिंसा, विश्व भर में देशों के विकास, वृद्धि, खुशहाली और अस्तित्व के लिए सबसे विनाशकारी चुनौती है। दुनिया के कुछ हिस्सों में, सशस्त्र संघर्षों के कारण हताहतों की संख्या बढ़ रही है, जिसके कारण देशों के भीतर और सीमाओं के पार, बड़े पैमाने पर विस्थापन और उसके परिणामस्वरूप विकट मानवीय संकट पैदा हो रहा है जिसका विपरीत असर हमारे विकास प्रयासों के हर पहलू पर पड़ रहा है। हिंसा के अन्य रूप–अपराध और यौन तथा जेंडर विशेष के साथ होने वाली हिंसा-भी विश्व के लिए चुनौती हैं। गैर-जवाबदेह कानूनी और न्यायिक प्रणालियों की संस्थागत हिंसा और लोगों को उनके मानव अधिकारों तथा बुनियादी स्वतंत्रताओं से वंचित करना भी हिंसा और अन्याय के ही रूप हैं। 

यदि इन समस्याओं के समाधान की बात की जाए तो  राष्ट्रीय और वैश्विक संस्थाओं को अधिक पारदर्शी एवं असरदार होना होगा। इनमें स्थानीय प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्थाएं शामिल हैं, जो मानव अधिकारों, कानून और व्यवस्था तथा सुरक्षा की गारंटी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। धन और हथियारों के अवैध प्रवाह में उल्लेखनीय कमी करने व् प्रत्येक प्रकार के संगठित अपराधों से निपटने हेतु रणनीति तैयार करनी होगी। सभी स्तरों पर असरदार, जवाबदेह और पारदर्शी संस्थाओं को विकसित करना होगा।

वैश्विक प्रशासन तंत्र की संस्थाओं में विकासशील देशों की भागीदारी का दायरा बढ़ाना और सशक्त करना होगा। हिंसा रोकने और आतंकवाद तथा अपराध का सामना करने के लिए, खासकर विकासशील देशों में सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम सहित सम्बद्ध राष्ट्रीय संस्थाओं को सशक्त करना बेहद आवश्यक है। इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण, सतत् विकास के लिए भेदभाव-विहीन कानूनों और नीतियों को लागू , क्रियान्वयन और किसी भी सूरतेहाल में प्रोत्साहित करना होगा।

भारत में न्यायपालिका पर विचाराधीन मुकदमों का भारी बोझ है| भारत, सरकार के अनेक प्रयासों के बल पर न्यायपालिका को सशक्त करने को प्राथमिकता दे रहा है।  इनमें जनशिकायत समाधान प्रणाली का प्रगति प्लेटफॉर्म और गाँवों में ग्राम न्यायालयों सहित न्यायपालिका के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास जैसे प्रयास शामिल हैं।

भारत में न्यायपालिका को सुदृढ़ करने व् सतत विकास लक्ष्य 16 को प्राप्त करने हेतु हमें कानूनी समावेश की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करने की आवश्यकता है जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन, नीति निर्माता और वित्त पोषण संगठन, अनुसन्धान संस्थान; विश्वविद्यालयों; सांख्यिकीय एजेंसीज़, मानवीय और विकास एजेंसीज़, वकील, कानूनी और/या मानवाधिकार संगठनों के बीच साझेदारी हेतु बेहतर प्रणाली तैयार करनी होगी |  न्यायपालिका में आम आदमी का भरोसा वापस क़ायम करने के लिए सुधार बहुत ज़रूरी हैं| दुर्भाग्यपूर्ण, भारत में न्यायपालिका को कुतरने वाले, इस पवित्र स्थल पर कार्य कर रहे कुछ भ्रष्ट पदाधिकारी ही हैं जिनमें ज्यादा प्रतिशत भ्रष्ट, मुनाफाखोर, भयादोहन में लिप्त, वकीलों का है जो निज स्वार्थ के चलते अपने पेशे का दुरुपयोग कर रहे हैं और क़ानून व्यवस्था पर कलंक लगाने हेतु निरंतर अग्रसर  हैं | क़ानून का मज़ाक बनाने वाले, कानूनी दांव-पेंच में फंसाकर आम लोगों का शोषण करने वाले वकीलों की उपाधियों (डिग्री) को रद्द कर इन्हें बार काउंसिल द्वारा ब्लैक लिस्ट करना बेहद आवश्यक है | 'अंकल जजों' के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए सख्त कानून बनाने आवश्यक हैं| न्यायपालिका में जजों की मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया अर्थात कॉलेजियन प्रणाली को बेहतर बनाने हेतु मंथन की जरुरत है |

कानूनी समावेश को प्राप्त करने के लिए व्यापक कानूनी सशक्तिकरण योजनाओं पर भी कार्य करना होगा जिसके लिए विभिन्न समाधान-आधारित कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करनी होगी| इसके अंतर्गत सभी हितधारक शामिल हैं, जो हाशिए के समूहों व् बहिष्कृत समुदायों की कानूनी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थायी और समावेशी समाधानों को लागू करने के लिए मजबूत कदम उठा सकें |

साथ ही, लीगल इंक्लूज़न मैपिंग के लिए एक प्रोग्रेस मॉनीटरिंग फ्रेमवर्क तैयार करना होगा जिसका समय-समय पर मूल्यांकन किया जा सके |

उपरोक्त योजनाओं को सशक्त तरीके से यदि अमलीजामा पहनाया जाए तो निश्चित रूप से SDG 16 की सिद्धि की न केवल गारंटी है, बल्कि दीर्घकालिक रूप से भी इसे पूरा किया जा सकता है।

-ऋषभ शुक्ला 

लेखक-चित्रकार






'D' FOR DIGNITY

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By 

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