Envision 2030| Covid19 and SDG: 01

 




कोरोना संकट में दिखा सतत् विकास लक्ष्य-०१ का नया मानचित्र

गरीबी सिर्फ आमदनी या संसाधनों की सुलभता का अभाव नहीं है, यह शिक्षा के लिए घटते अवसरों, सामाजिक भेदभाव और निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी करने की अक्षमता के रूप में प्रकट होती है। उदाहरण के लिए विकासशील देशों में सबसे गरीब परिवारों के बच्चों के स्कूल में पढ़ने की संभावना सबसे अमीर परिवारों के बच्चों की तुलना में चार गुणा कम है। किंतु निपट वंचना का सवाल केवल खुशहाली और अवसरों तक सीमित नहीं है, ये जीवित रह पाने का सवाल भी है । लैटिन अमरीका और पूर्वी एशिया में 5 वर्ष की आयु तक पहुँचते-पहुँचते सबसे गरीब बच्चों की मृत्यु की आशंका सबसे अमीर बच्चों की तुलना में तीन गुणा अधिक है। गरीबी के हर रूप को हर जगह से मिटा देना 2030 के सतत् विकास एजेंडा का पहला लक्ष्य है। इसके लिए सामाजिक संरक्षण देना, बुनियादी सेवाओं तक पहुँच बढ़ाना और प्राकृतिक आपदाओं का असर सहने की क्षमता बढ़ाना आवश्यक है क्योंकि उनके कारण लोगों के संसाधनों और आजीविका को भारी नुकसान होता है। अंतराष्ट्रीय समुदाय ने सतत् विकास एजेंडा 2030 के माध्यम से इस बात पर सहमति दी है कि आर्थिक वृद्ध् समावेशी होनी चाहिए, खासकर इसमें गरीबों और सबसे लाचार वर्गों को स्थान मिलना चाहिए और उनका उद्देश्य अगले 15 वर्ष में हर जगह, हर व्यक्ति के लिए निपट गरीबी को जड़ से मिटा देने का है।

किन्तु कोरोनावायरस ने दुनिया में आर्थिक गतिविधियों को ठप कर दिया है। ऐसी स्थिति इससे पहले कभी नहीं देखी गई थी। सतत विकास के लक्ष्यों के प्रति यह स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं है। महामारी के संकट से पहले ही दुनिया लक्ष्यों को हासिल करने में पिछड़ रही थी। अब स्थिति और बुरी होने वाली है। वर्तमान महामारी ने वैश्विक व्यवस्था की मूलभूत कमजोरियों को उजागर कर दिया है और मजबूत इच्छाशक्ति के साथ तत्काल कार्रवाई पर बल दिया है। भूख और गरीबी मिटाने के अहम वैश्विक लक्ष्यों के साथ जलवायु परिवर्तन के लक्ष्य अब और चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। 

कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी ने हमें एक दौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है और यह कहना किसी भी सूरतेहाल में अतिशयोक्ति न होगा कि हम एक नहीं बल्कि संकटों की दुधारी तलवार पर चल रहे हैं - एक, घोर आर्थिक संकट और दूसरा, चिकित्सा। भूखे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जलवायु परिवर्तन अनुमान से तेज हो रहा है और आय की असमानता भी बढ़ रही है। महामारी का असर और इसे कम करने के लिए किए गए उपायों ने दुनियाभर के स्वास्थ्य तंत्र पर बोझ बढ़ा दिया है। इसने व्यापार और फैक्टरियों को बंद कर दिया है और दुनिया के आधे श्रमबल की जिंदगी को प्रभावित किया है। इस महामारी ने सतत विकास के लक्ष्यों की प्रगति को और धीमा कर दिया है। दक्षिण एशिया में खासकर भारत की आबादी में गरीबों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है जिससे कई साल की प्रगति पर पानी फिर गया है। भारत में 3.2 करोड़ लोग मिडल क्लास से बाहर हो गए। 1990 के दशक के बाद यह पहला मौका है जब दुनिया में मिडल क्लास की आबादी में गिरावट आई है। 

इन भीषण परिस्थितियों से यह बात साफ़ होती है कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में हमें अपनी स्वास्थ्य देखभाल क्षमता को सुदृढ़ करने तथा सामाजिक-सुरक्षा जाल को मजबूत बनाने के लिए सभी स्‍तरों पर प्रबल रूप से प्रयत्‍न करने की आवश्यकता है। वैश्विक नेताओं को इस दिशा में बेहद गंभीरता से और तेजी से सुदृढ़ नीतियों को अमलीजामा पहनाना होगा। देश को गरीबी के घोर संकट से उबारने हेतु सबसे पहले कोरोना के विरुद्ध लोगों का सहयोग प्राप्‍त करने के लिए उन लोगों को एक संगरोध भत्ता और अन्य लाभ प्रदान करना होगा जिनके परीक्षण पॉजिटिव आते हैं। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों को नकदी के रूप में न्यूनतम आजीविका आय प्रदान करने हेतु व्यवस्था करनी होगी जिससे उन्हें इस भीषण संकट काल में भुखमरी का सामना न करना पड़े। हमें इस तथ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि आर्थिक सुरक्षा न केवल सामाजिक न्याय की गारंटी के लिए आवश्यक है बल्कि यह बीमारी के दमन और शमनकारी नीतियों को प्रभावी बनाने के लिए भी जरूरी है।

एक भूखी और असुरक्षित आबादी कोई सेना नहीं है जिसके साथ महामारी से लड़ा जा सके। स्थिति दिन प्रति दिन बिगड़ रही है.... ऐसे में जल्द ठोस कदम उठाए जाने की सख़्त जरुरत है क्योंकि इस भीषण त्रासदी में गरीब और असंगठित क्षेत्रों में कार्य कर रहे लोगों के पास मात्र दो ही विकल्प हैं - एक सुरक्षा और दूसरा भूख। इन दोनों विकल्पों के बीच वे किसे चुनें, इसका जवाब शायद ही किसी के पास हो।







copyright©2O21. Rishabh Shukla. All rights reserved


No part of this publication may be reproduced , stored in a  retrieval system or transmitted , in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise, without the prior permission of the copyright owner.  


Copyright infringement is never intended, if we published some of your work, and you feel we didn't credited properly, or you want us to remove it, please let us know and we'll do it immediately.

Comments